
KANPUR : आपने फिल्म ओम शांति ओम में अभिनेता शाहरुख़ खान द्वारा बोले गया डायलॉग को जरूर सुना होगा जिसमे कहा गया है की अगर किसी भी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने लग जाती है, इस कथन को चरितार्थ करते हुए शख्स है कानपुर के उद्योगपति प्रवीण मिश्रा जिनकी कहानी किसी प्रेरणादायक कहानियों के संग्रह से काम नहीं नज़र आती है ! कानपुर शहर के उद्योगपति और एशिया के सबसे बड़े मनोरंजक पार्क कहे जाने वाले “ब्लू वर्ड पार्क” के मालिक प्रवीण मिश्रा ने यह करके दिखाया है, ऐसे में साधारण से एक इंसान से एक मशहूर उधोगपति बनने का सफर आसान नहीं था, इस कहानी में फिल्मो वाला स्वाद है, मेहनत और लगन है, और कठोर परिश्रम है ! कभी कानपुर के विजय नगर चौराहा के समीप प्रवीण मिश्रा ने फुटपाथ पर एक हजार रुपये से कटपीस में ब्लाउज का कपड़ा बेचने का काम शुरू किया था। दिन रात के कठिन परिश्रम और अपनी लगन के बूते पर इन्होंने ‘ब्लू वर्ल्ड’ जैसा देश का मशहूर मनोरंजक थीम पार्क कानपुर शहर में बनवाकर न सिर्फ अपनी उद्यमिता का लोहा मनवाया बल्कि कानपुर शहर का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा कर रोशन किया !
जानकारी के अनुसार प्रवीण मिश्रा का परिवार शुरुआती दिनों में कानपुर के रावतपुर गांव में रहता था, प्रवीण मिश्रा के पिता प्रेमशंकर मिश्रा मौजूदा समय में आर्डनेंस फैक्ट्री में नौकरी करते थे, ऐसे में साफ़ है की नौकरीपेशा परिवार की आम दिक्कतों से इन्हें हर महीने जूझना पड़ता था, इस दौरान 10वीं की पढ़ाई के समय ही प्रवीण मिश्रा ने तय कर लिया था कि पिताजी की तरह उन्हें नौकरी नहीं करनी है, वो व्यवसाय करना है जिसमें प्रतिदिन के हिसाब से पैसा आए, बस फिर क्या था 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रवीण मिश्रा ने पिता से जिद की कि वे अपना खुद का काम शुरू करेंगे, कम उम्र और व्यापार की समझ न होने पर पिता ने उन्हें काफी डांटा लेकिन शायद उस वक्त युवा प्रवीण मिश्रा का इरादा बिलकुल अटल था, जो ठान लिया सो ठान लिया, लेकिन पिता जी अब भी चाहते थे की उनका बेटा उनकी तरह ही सरकारी नौकरी करे, लाख कोशिशों के बाद जब प्रवीण नहीं माने तो पिता ने पांच फीसदी ब्याज पर उन्हें 1000 रुपये उधार दिए, इस रकम से कानपुर के मशहूर विजय नगर चौराहे के पास प्रवीण ने फुटपाथ पर ब्लाउज के कटपीस बेचने का काम शुरू किया ठीक उसी तरह जिस तरह से धीरूभाई अम्बानी ने पेट्रोलपंप पर काम करते करते कपडे बेची !
ऐसे में युवा प्रवीण मिश्रा के लिए ये बड़ी चुनौती से कम नहीं थी, प्रवीण बताते हैं कि इस काम से बहुत सारे लोगों के मुंह बने, उन्हें इस बात से तकलीफ हुयी की एक सरकारी नौकरी करने वाले का बेटा फुटपाथ पर कपड़े के कटपीस बेच रहा हैं, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया, समय बीतता गया और प्रवीण मिश्रा की मेहनत रंग लाने लगी, कठिन परिश्रम का नतीजा मिलने लगा और इसी बीच एक साल बाद प्रवीण मिश्रा द्वारा रावतपुर में एक बेकरी शॉप खोली गयी, प्रवीण ने इसे दो साल तक चलाया, इसके कुछ वर्षों बाद साल 1993 में उन्होंने पान मसाला कारोबार में कदम रखा, प्रवीण घर पर ही ‘सागर’ नाम का गुटखा बनाते और उसकी मार्केटिंग करते, धीरे धीरे काम बढ़ने लगा इसके साथ ही वर्ष 1998 में पान मसाला कारोबार को और बढ़ाया, ऑटोमेटिक मशीनें लगवाईं और अब इस सागर पान मसाले की सम्पूर्ण देश भर में आपूर्ति शुरू कराई !
पान मसाले के इस कारोबार के साथ ही उन्होंने वर्ष 2000 में बिठूर रोड स्थित मंधना में एक बड़ी दूध डेयरी खोली, अब जैसे जैसे व्यापार का दायरा बढ़ा तो प्रवीण ने अपने एयरफ़ोर्स में नौकरी करने वाले छोटे भाई प्रदीप मिश्रा की एयरफोर्स की नौकरी छुड़वा दी, छोटे भाई प्रदीप मिश्रा ने भी लक्ष्मण की तरह ही राम यानी बड़े भाई का आदेश मानकर बिना कुछ सोचे नौकरी छोड़ दी जब छोटे भाई का साथ मिला तो बड़े भाई प्रवीण के इरादों में और मजबूती के पंख लग गए, फिर क्या था मजबूत इरादों के साथ वर्ष 2002 से 2008 तक बाकी व्यवसाय के साथ साथ दोनों भाइयों ने सब्जी उगाने का व्यवसाय शुरू किया, देखते देखते वो समय आ गया की प्रवीण जिस चीज़ या जिस काम में हाँथ डालते थे वो काम सोने सा चल जारा था, ऐसे में यह काम भी इतना बढ़ा कि तरह तरह की सब्जियों की आपूर्ति देश के कई शहरों में होने लगी, इसी बीच उन्होंने वर्ष 2008 में अपना पान मसाला का सारा कारोबार कानपुर शहर से समेट कर उड़ीसा में शिफ्ट कर दिया और वहां पर भी एक फैक्ट्री लगाई।
और इसी बीच शुरू हुआ एक मनोरंजन से भरपूर पार्क का सपना जो की सच होने की दहलीज पर पंख खोले खड़ा था, ऐसे में वर्ष 2009 में ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क का निर्माण कार्य शुरू कराया गया, क्यों की ब्लू वर्ल्ड एक काफी बड़ा प्रोजेक्ट था इसलिए दूसरे सारे कारोबार बंदकर दोनों भाइयों ने इस पर फोकस किया, वर्ष 2012 में पान मसाला कारोबार भी बंद कर दिया, इसके बाद आखिर वो समय आ ही गया जिसका शायद प्रवीण को इंतज़ार था, वर्ष 2014 में कानपुर को देश के चुनिंदा थीम पार्क का नायाब तोहफा मिला वे अपने कारोबार में अब तक सौ करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुके हैं, ब्लू वर्ड के डायरेक्टर प्रवीण मिश्रा बताते हैं कि कानपुर के आसपास कोई घूमने लायक जगह नहीं थी यह बात उन्हें बहुत चुभती थी, उन्होंने बताया की ब्लू वर्ड थीम पार्क उनका व्यवसाय जरूर है, लेकिन कानपुर को देश में स्थापित कराने की ललक भी उनमे बेहद है, अब प्रवीन मिश्रा के बेटे अभिषेक मिश्रा भी पिता की ही तरह शिद्दत से इस व्यवसाय में चाचा प्रदीप मिश्रा के साथ हाँथ बटा रहें है अब वे ब्लू वर्ल्ड को देश का नंबर एक थीम पार्क बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जिसके लिए आज ब्लूवर्ड में कई राज्यों से दर्शक आ कार इस पार्क में अनेकों मनोरंजन से भरे साधनो का लुफ्त उठा रहें इसी बीच इस वर्ष 2024 में इस थीम पार्क में जंगल सुनामी नाम से एक राइड लॉन्च की गयी जो की गर्मी में दर्शकों बेहद लुभावनी लग रही है, प्रवीण मिश्रा का मानना है कि हमेशा बड़े सपने देखने चाहिए। भविष्य के लिए लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। ईमानदार प्रयास हमेशा सफलता दिलाता है। कोई भी काम शुरू करने से पहले यह न सोचें कि लोग क्या कहेंगे। बस काम में कुछ नयापन जरूर होना चाहिए ! इंडिया न्यूज़ 24X7 की टीम प्रवीण मिश्रा की इस सरहानीय सोच को सलाम करती है !
