प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमआईआरवी तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल के पहले सफल परीक्षण पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है. उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है, बता दें कि अग्नि-5 मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) टेक्नोलॉजी से लैस है. यानी इसे एक साथ कई टारगेट्स के लिए लॉन्च किया जा सकता है. अग्नि-5 का पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में किया गया था.
29 हजार 401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार
अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने बनाया है. ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है, रेंज 5 हजार किलोमीटर है. अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है. मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल से लैस है. यानी एक साथ कई टारगेट्स के लिए लॉन्च की जा सकती है, डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है. इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा, लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, इस्तेमाल भी बेहद आसान है, इस वजह से देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है.
अग्नि-5 एक से ज्यादा वॉरहेड ले जा सकती है
अग्नि-5 एक एडवांस्ड एमआईआरवी मिसाइल है. एमआईआरवी का अर्थ मल्टीपल इंडिपेंडेंटली-टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल है. ट्रेडिशनल मिसाइल में केवल एक वॉरहेड ले जाया जा सकता है, जबकि एमआईआरवी में मल्टीपल वॉरहेड एक साथ कैरी कर सकते हैं. वॉरहेड यानी, मिसाइल का अगला भाग जिसमें विस्फोटक होते हैं. इस खासियत के मायने ये हुए कि एक दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर मौजूद कई टारगेट्स को एक ही मिसाइल के जरिए तबाह किया जा सकता है. एक ही टारगेट पर मल्टीपल वॉरहेड को एक बार में लॉन्च भी किया जा सकता है