खाटू श्याम बाबा का प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। जहां हर दिन खाटू श्यामजी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। देशभर से लोग यहां पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन माह में बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर साल फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर में श्याम जी के जन्मदिन के अवसर पर लक्खी मेला का आयोजन होता है। इस मेले में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस साल 11 मार्च 2024 से लक्खी मेला शुरू हो चुका है, जो कि 21 मार्च तक चलेगा।
श्याम भक्तों के लिए आखिर क्या है लक्खी मेला का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना शीश काटकर दे दिया था। इसके चलते इस तिथि पर भगवान खाटू श्याम का जन्मदिवस मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह की एकादशी तिथि 20 मार्च को है। इसी दिन बाबा श्याम का जन्मदिन मनाया जाएगा। ऐसे में 10 दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के कोने-कोने से लाखों भक्त शामिल होंगे। मेले में खाटू श्याम बाबा के दरबार की झांकियां सजाई जाएंगी। साथ ही मंदिर के गर्भगृह को भी भव्य रूप से सजाया जाएगा।
फाल्गुन अमावस्या पर करते हैं विशेष श्रृंगार
हर साल फाल्गुन अमावस्या के दिन बाबा खाटू श्याम जी का विशेष श्रृंगार किया जाता है और पूजा की जाती है। इस श्रृंगार में कई घंटों का समय लगता है। इस दौरान देश के कोने-कोने से आए फूलों से बाबा का सुंदर श्रृंगार किया जाता है
जानें कब बंद रहेंगे कपाट
बता दें कि बाबा खाटू श्याम मंदिर कमेटी की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि 12 मार्च दिन मंगलवार को श्री श्याम प्रभु की विशेष पूजा और तिलक किया जाएगा। इस वजह से 11 मार्च को रात 10 बजे से 12 मार्च शाम 6 बजे तक खाटू श्याम जी के गर्भ गृह के कपाट बंद रहेंगे। इस दौरान भक्तजन बाबा के दर्शन नहीं कर सकेंगे
लक्खी मेले के लिए खास इंतजाम
लक्खी मेला में बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन में किसी भी प्रकार की विघ्न- बाधा न आए इसके लिए विशेष तरह के प्रबंध किए गए हैं। इस बार भी निजी पार्किंग और नगर पालिका पार्किंग में भक्तों से गाड़ी खड़ी करने के लिए कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। मेले के दौरान, जो लोग खाटू श्याम मेले में निशान उठाते हैं, उन्हें रिंग्स के रास्ते से होते हुए बाबा श्याम की पैदल यात्रा करनी होती है। खाटू श्याम को सुजानगढ़ का निशान चढ़ाने के बाद मेले का समापन होता है। इस मेले में 8 फीट तक का ऊंचा निशान ले जाने की अनुमति है।
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