

कानपुर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद भारत के सूफियों का अग्रणी संगठन, सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन, ने भारत सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की है। इसी क्रम में, संगठन के केंद्रीय कार्यालय, कानपुर नगर में राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए एक संकल्प पत्र जारी किया गया, जिसे ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित किया गया।
संकल्प पत्र में संगठन ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम भारतीय मुसलमान हैं। पाकिस्तान द्वारा बार-बार द्विराष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) का हवाला देकर अपने अवैध कृत्यों को छिपाने और भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश को हम सिरे से खारिज करते हैं।” संगठन ने जोर देकर कहा कि 1947 में भारतीय मुसलमानों ने सोच-समझकर भारत को अपना देश चुना, न कि मजबूरी में। यह निर्णय उनके विश्वास और उसूलों पर आधारित था। भारत ने खुद को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया, जहाँ हर धर्म के लोगों को बराबरी का हक और सम्मान प्राप्त है।
सूफी खानकाह एसोसिएशन ने पाकिस्तान के हालिया प्रयासों की कड़ी निंदा की, जिसमें वह जिन्ना के नाम का सहारा लेकर भारतीय मुसलमानों को बांटने की कोशिश कर रहा है। संकल्प पत्र में कहा गया, “पाकिस्तान का यह कदम न केवल इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना है, बल्कि करोड़ों भारतीय मुसलमानों का अपमान भी है। हमारी वफादारी पर शक करना गलत है। हम पूरी तरह से भारतीय हैं—ज़मीन से लेकर ज़मीर तक।” संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय मुसलमानों ने हमेशा देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना कर्तव्य निभाया है, चाहे वह युद्ध का समय हो, शांति का दौर हो, या लोकतंत्र की प्रक्रिया।
संकल्प पत्र में पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा गया कि अगर वह भारत के खिलाफ जंग छेड़ता है, तो भारतीय मुसलमान सबसे आगे खड़े होकर उसका सामना करेंगे और उसे जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। संगठन ने भारत सरकार से मांग की कि पाकिस्तान, जिसे “दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी मुल्क” करार दिया गया, पर हमला करके उसे “सफा-ए-हस्ती से मिटा दिया जाए।” इस कदम में हर भारतीय मुसलमान अपनी जान और माल की कुर्बानी देने को तैयार है।
सूफी खानकाह एसोसिएशन ने सोशल मीडिया और वैश्विक मीडिया में चल रहे भारत विरोधी दुष्प्रचार की भी निंदा की। संगठन ने कहा कि पाकिस्तान भारत को मुस्लिम विरोधी ठहराकर बदनाम करने की कोशिश करता है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत में मुसलमानों ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का उपयोग कर समान अवसर हासिल किए हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान में शिया, सूफी, और सुन्नी मुसलमान लगातार आतंक का शिकार हो रहे हैं। संगठन ने सरकार से मांग की कि उसे पर्याप्त मंच प्रदान किए जाएँ, ताकि वह पाकिस्तान के झूठों को बेनकाब कर सके।
श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने पहलगाम हमले में शहीद हुए लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और भारत सरकार से तत्काल कठोर कार्रवाई की मांग की। राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने कहा, “पाकिस्तान द्वारा द्विराष्ट्रवाद के नाम पर सांप्रदायिक कूटनीति की जा रही है। उसे होश में रहना चाहिए कि भारत में उससे अधिक मुसलमान रहते हैं, जिन्हें बराबरी का हक प्राप्त है।” राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूफी शाह सय्यद जियारत अली हक्कानी मलंग ने कहा, “हम मजनू शाह मलंग, अशफाक अल्ला खान, और हाजी इमदाद उल्लाह मुहाजिर मक्की के वारिस हैं। वक्त आने पर हम पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजा देंगे।
सभा में स्वामी चंद्रजीत सिंह महाराज ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए कहा कि दोनों समुदाय भारत की अखंडता के लिए मिलकर काम करते रहे हैं। माँ काली शक्ति पीठ के प्रबंधक गौरव त्रिपाठी ने पाकिस्तान की कायराना हरकत को अस्वीकार्य बताया और सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की। कार्यक्रम में सय्यद महमूद अली हाशमी, सूफी तारिक मासूमी मदारी, अभिषेक कुमार तिवारी, राम नरेश अग्रहरि, विनोद कुमार गुप्ता, सय्यद हंजला, दानिश अबुल उलाई, राजेश अग्रहरि सहित सर्व समाज के लोग उपस्थित रहे।