

कानपुर : उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में महत्वपूर्ण पदों की कटौती और समाप्ति के विरोध में कर्मचारियों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। शासनादेश दिनांक 14 मई 2025 के तहत उपराजस्व जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी, नलकूप चालक, सेंचपाल, मिस्त्री, ड्रार रनर, मेट जैसे आवश्यक पदों की संख्या में कमी और समाप्ति के निर्णय से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। इस फैसले के खिलाफ सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश का गठन 16 मई 2025 को सर्वसम्मति से किया गया। इसी क्रम में आज नलकूप खण्ड प्रथम, निराला नगर कानपुर में सिंचाई विभाग कार्यालय परिसर के बाहर सैकड़ों कर्मचारियों ने विशाल शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में शामिल संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति का कहना है कि इन पदों की समाप्ति से नहरों, लघु डाल नहरों, और राजकीय नलकूपों के संचालन, रख-रखाव, तथा विभागीय परिसम्पत्तियों की सुरक्षा में गंभीर कठिनाइयाँ उत्पन्न होंगी। ये कर्मचारी ग्रामीण स्तर पर किसानों को सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इनके बिना पूरी व्यवस्था के ध्वस्त होने का खतरा है। प्रदर्शन का नेतृत्व सिंचाई राजस्व अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष व उप राजस्व अधिकारी प्रदीप कुमार निगम, सिंचाई संघ के अध्यक्ष जैन सिंह, महामंत्री अवधेश सिंह, मुंशी संघ के मण्डल मंत्री विकास साहू, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ, नलकूप खंड प्रथम के अध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव, और महामंत्री धर्मेंद्र कटियार ने किया।
प्रदर्शन के बाद संयुक्त कर्मचारी संघों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 4 जून 2025 को कानपुर के जिलाधिकारी जेपी सिंह के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सिंचाई मंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। समिति ने शासन से मांग की है कि उक्त शासनादेश को तत्काल रद्द किया जाए, विभाग के सभी रिक्त पदों को भरा जाए, और नए पदों का सृजन कर किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।
संघर्ष समिति ने तर्क दिया कि यह निर्णय मुख्यमंत्री के चहुंमुखी विकास और युवाओं को रोजगार प्रदान करने के संकल्प के खिलाफ है। समिति का कहना है कि इन पदों की समाप्ति से न केवल कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा, बल्कि किसानों को उत्कृष्ट सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करने का लक्ष्य भी प्रभावित होगा। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इससे पहले, समिति ने 20 और 21 मई 2025 को प्रदेशव्यापी काला फीता धारण कर विरोध प्रदर्शन किया था। शासन की ओर से कोई सकारात्मक कदम न उठाए जाने से कर्मचारियों में असंतोष और गहरा गया है।