कानपुर: मिशन शक्ति के तहत सुभाष पब्लिक इंटर कॉलेज में साइबर जागरूकता और नए आपराधिक कानूनों पर आयोजित हुआ विशेष कार्यक्रम, छात्र-छात्राओं ने लिया लाभ

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@रिपोर्ट : रवि कुमार शर्मा – विशेष संवाददाता

मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। थाना नौबस्ता की टीम ने प्रभारी निरीक्षक के निर्देशन में सुभाष पब्लिक इंटर कॉलेज में महिलाओं से संबंधित अपराधों, साइबर सुरक्षा और भारत सरकार द्वारा लागू तीन नए आपराधिक कानूनों पर विस्तृत जानकारी साझा की। कार्यक्रम में प्रभारी निरीक्षक नौबस्ता, चौकी प्रभारी वसंत विहार तथा एंटी रोमियो टीम के सदस्यों ने छात्र-छात्राओं को सशक्तिकरण और सुरक्षा के उपायों से अवगत कराया। यह आयोजन राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के अनुरूप था, जिसमें डिजिटल दुनिया के खतरे और नए कानूनी प्रावधानों पर विशेष जोर दिया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य और प्रमुख बिंदु

मिशन शक्ति अभियान, जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए चलाया जा रहा है, के फेज-5 के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को महिलाओं के खिलाफ अपराधों से बचाव, महिला हेल्पलाइन नंबरों का उपयोग तथा साइबर अपराधों से निपटने की क्षमता विकसित करना है। कार्यक्रम में महिलाओं से जुड़े अपराधों जैसे घरेलू हिंसा, यौन शोषण और स्टॉकिंग पर चर्चा की गई, साथ ही 1090 (महिला हेल्पलाइन) और 181 (महिला आपातकालीन हेल्पलाइन) जैसे नंबरों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया।

साइबर जागरूकता सत्र में विशेषज्ञों ने डिजिटल दुनिया के उभरते खतरे पर विस्तार से बताया। आज के दौर में स्मार्टफोन और इंटरनेट का बढ़ता उपयोग साइबर फ्रॉड को जन्म दे रहा है, जो न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है बल्कि मानसिक तनाव भी पैदा करता है। कार्यक्रम में साइबर फ्रॉड के प्रमुख प्रकारों पर रोशनी डाली गई, जिनमें शामिल हैं ।


  1. ■ वॉयस क्लोनिंग : एआई तकनीक से किसी परिचित व्यक्ति की आवाज की नकल करके भावुक कॉल या मैसेज भेजना, जैसे विदेश में फंसे रिश्तेदार की मदद मांगना।

  2. ■ डिजिटल अरेस्टिंग : फर्जी पुलिस या एजेंसी बनकर वीडियो कॉल पर धमकाना, मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स के झूठे आरोप लगाकर पैसे वसूलना।

  3. ■ एआई वॉइस स्कैम: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनी नकली आवाजों से धोखा देना, जो सोशल मीडिया से ली गई आवाजों पर आधारित होता है।

  4. ■ व्हाट्सएप स्कैम : अनजान नंबरों से ई-चालान, गिफ्ट या जॉब ऑफर के नाम पर फर्जी लिंक भेजना, जो फोन हैक करने का कारण बनता है।

  5. ■ डिजिटल अरेस्ट :  ऊपर वर्णित के समान, लेकिन विशेष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का दुरुपयोग।

  6. ■ बिजली बिल स्कैम : फर्जी बिल भुगतान लिंक से बैंक डिटेल्स चुराना।

  7. ■ डेटिंग एप स्कैम : नकली प्रोफाइल से भावनात्मक संबंध बनाकर पैसे ऐंठना।

  8. ■ फेक गेमिंग एप स्कैम : गेमिंग ऐप्स में निवेश का लालच देकर धोखा।

  9. ■ इंस्टेंट लोन स्कैम : तत्काल लोन के नाम पर पर्सनल डेटा चोरी।

वक्ताओं ने इनसे बचाव के व्यावहारिक तरीके सुझाए, जैसे अनजान कॉल्स या लिंक पर क्लिक न करना, वीडियो कॉल से पहचान की पुष्टि करना, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू रखना और कभी भी ओटीपी शेयर न करना। यदि फ्रॉड का शिकार हो जाएं, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराएं।


नए आपराधिक कानूनों पर जागरूकता

कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई 2024 से लागू तीन नए कानूनों—भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)—पर केंद्रित रहा। ये कानून औपनिवेशिक काल के पुराने विधानों (आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम) की जगह ले चुके हैं, जो न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, तकनीकी रूप से मजबूत और नागरिक-केंद्रित बनाते हैं।
– **भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)**: अपराधों की परिभाषा को सरल बनाया गया है, जिसमें आतंकवाद और संगठित अपराधों पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं। सात वर्ष से अधिक सजा वाले मामलों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य है।

■ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता _ बीएनएसएस जांच से लेकर फैसले तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया गया है, जैसे ई-एफआईआर, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पेशी और 45 दिनों में चार्जशीट दाखिल करना।

 

■ भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) : डिजिटल साक्ष्य (ईमेल, एसएमएस, सर्वर लॉग) को कागजी दस्तावेजों के समान मान्यता दी गई है, जो साइबर अपराधों की जांच को तेज बनाएगा।

 

■ प्रभारी निरीक्षक ने कहा, “ये कानून साइबर अपराधों से निपटने में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। डिजिटल साक्ष्यों की मान्यता से फ्रॉड के मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ेगी।”

निबंध प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण

कार्यक्रम को और रोचक बनाने के लिए छात्र-छात्राओं के बीच “महिलाओं की सुरक्षा और साइबर जागरूकता” विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रथम तीन प्रतिभागियों को ट्रॉफी प्रदान की गई, जबकि अन्य दो को सांत्वना पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया। कॉलेज प्राचार्य ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्रों को न केवल जागरूक बनाते हैं बल्कि उन्हें समाज के जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार भी करते हैं।

सामाजिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएं

यह कार्यक्रम कानपुर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मिशन शक्ति के व्यापक अभियान का हिस्सा है, जहां हाल ही में इसी तरह के आयोजन सचेन्डी और अन्य स्थानों पर हो चुके हैं। पुलिस विभाग ने आगामी दिनों में और अधिक स्कूलों-कॉलेजों में ऐसे सत्र आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि युवाओं को डिजिटल युग के जोखिमों से अवगत किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता ही साइबर अपराधों के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार है, खासकर जब एआई-आधारित फ्रॉड 2025 में और सुलभ हो रहे हैं।

नौबस्ता थाना प्रभारी ने अपील की कि अभिभावक और शिक्षक भी बच्चों को इन मुद्दों पर चर्चा करें। यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या हेल्पलाइन से संपर्क करें। यह आयोजन न केवल जागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि समुदाय में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत भी साबित हुआ।


 

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