शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने भी विष्णु जी की तरह अनेक अवतार लिए। हम आपको यहां भगवान शिव के कुछ प्रमुख अवतारों के बारे में बता रहे हैं, आइए जानते हैं क्यों लेने पड़े भगवान शिव को ये अवतार …
भैरव अवतार :- हिन्दू धर्म में भैरवनाथ को शिव के पांचवे अवतार के रूप माने जाते हैं,शास्त्रों के अनुसार, जब ब्रह्मा ने शिव की वेशभूषा और उनके गणों की रूपसज्जा को देखकर उन्हें तिरस्कारयुक्त शब्द कहे तो इस अपमान से शिवजी के शरीर से उसी समय एक प्रचण्डकाय काया प्रकट हुई और वह ब्रह्मा का संहार करने के लिए आगे बढ़ी, ब्रह्मा जी ये देखकर भय से चीखने लगे, शिवजी ने ब्रह्मा जी को भयभीत देखकर अपनी काया को शांत किया। रूद्र के शरीर से उत्पन्न उसी काया को भैरव का नाम मिला और इस प्रकार शिवजी ने भैरव अवतार धारण किया।
शरभ अवतार :-भगवान शिव का शरभ अवतार अपने आधे पक्षी और आधे शेर के शरीर के लिए जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से सृष्टि और भक्त प्रहलाद को मुक्त करने के लिए नरसिंह अवतार लिया तो उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध तो कर दिया लेकिन भगवान नरसिंह के क्रोध को शांत करना असंभव हो गया। ऐसे में भगवान नरसिंह के क्रोध को शांत करने के लिए सभी ने शिवजी की स्तुति की और नरसिंह को नियंत्रित करने के लिए शिव ने शरभावतार धारण किया।
किरात अवतार :-शास्त्रों के अनुसार, जब अर्जुन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, तब दुर्योधन ने अर्जुन को मारने के लिए मूड़ नामक दैत्य को शूकर (सुअर) का रूप धारण कराकर वहां भेजा। अर्जुन ने शूकर पर अपने बाण से प्रहार किया, उसी समय भगवान शंकर ने भी किरात वेश धारण कर उसी शूकर पर बाण चलाया। किरात वेश धारण किए शिवजी को अर्जुन नहीं पहचान पाए और उनसे वध करने लगे। पहले तो अर्जुन और शिवजी के बीच युद्ध हुआ और बाद में अर्जुन के युद्ध से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने वास्तविक रूप में आ गए और अर्जुन को आर्शीवाद प्रदान किया।