

रिपोर्ट: अनुराग श्रीवास्तव – कानपुर
कानपुर: उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को चार वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों के तबादले किए, जिसके तहत कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को एक महीने बाद उनके पद से मुक्त कर दिया गया। उनकी जगह 1997 बैच के अनुभवी IPS अधिकारी रघुवीर लाल को कानपुर का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। सूत्रों और कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय एक महीने पहले ही तय माना जा रहा था, जब रघुवीर लाल को इस महत्वपूर्ण पद के लिए प्रबल दावेदार बताया गया था। इस पद के लिए अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, जैसे लक्ष्मी सिंह और आलोक सिंह, के नाम भी चर्चा में थे, लेकिन शासन ने अंततः रघुवीर लाल के नाम पर अंतिम मुहर लगाई।
रघुवीर लाल वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) सुरक्षा के पद पर कार्यरत थे। उनकी नियुक्ति से कानपुर पुलिस कमिश्नरेट को एक मजबूत और अनुभवी नेतृत्व मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, अखिल कुमार को 25 अगस्त, 2025 को केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन का प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया गया था, जो उनके करियर का एक नया अध्याय है। इस तबादले के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव भी किए गए हैं।
अन्य तबादले और प्रशासनिक बदलाव
इस फेरबदल के तहत 1992 बैच के IPS अधिकारी दीपेश जुनेजा से आपराधिक जांच विभाग (CID) की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है, और वे अब केवल अभियोजन के महानिदेशक (DG) के रूप में कार्य करेंगे। साइबर क्राइम के DG बिनोद कुमार सिंह को CID का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। साथ ही, लखनऊ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) तरुण गाबा को IG सुरक्षा नियुक्त किया गया है।
रघुवीर लाल को पुलिस कमिश्नर क्यों चुना गया?
कानपुर जैसे रणनीतिक और संवेदनशील शहर के पुलिस कमिश्नर पद के लिए कई दावेदार थे, लेकिन रघुवीर लाल का चयन कई कारकों पर आधारित माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जातीय समीकरण इस निर्णय में प्रमुख कारक रहे। इसके अतिरिक्त, वर्तमान में प्रदेश में कोई ADG रैंक का अधिकारी किसी जोन या पुलिस कमिश्नरेट में तैनात नहीं है, जिसके चलते रघुवीर लाल का चयन एक तार्किक और प्रशासनिक रूप से संतुलित निर्णय प्रतीत होता है। यह कदम कानपुर में कानून व्यवस्था को और सुदृढ़ करने में सहायक हो सकता है।
रघुवीर लाल: एक अनुभवी और रणनीतिक अधिकारी
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मूल निवासी रघुवीर लाल 1997 बैच के IPS अधिकारी हैं। उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बीता, जहां उन्होंने लोकसभा सचिवालय में संयुक्त सचिव (सुरक्षा) के रूप में अपनी सेवाएं दीं। लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने से पहले वे राजधानी के पहले और अंतिम वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) कानून व्यवस्था रहे। विशेष रूप से, मायावती सरकार ने उनके लिए यह विशेष पद सृजित किया था, जो उनकी प्रशासनिक क्षमता और विश्वसनीयता का प्रतीक है।
लखनऊ तैनाती के चर्चित किस्से
रघुवीर लाल की लखनऊ तैनाती के दौरान उनके कुछ निर्णय और कार्यशैली के किस्से कानपुर के पुलिस हलकों में तैनाती से पहले ही गूंजने लगे है । पुलिसिया सूत्रों के अनुसार उस समय की अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों में उन्होंने कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से संभाला, जिसके चलते उन्हें ‘कानून का रखवाला’ जैसे अनौपचारिक उपनाम से जाना गया। एक उल्लेखनीय घटना में, लखनऊ में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने न्यूनतम बल प्रयोग के साथ स्थिति को नियंत्रित किया, जो उनकी रणनीतिक सोच और संयमित दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि, ये किस्से ज्यादातर पुलिस विभाग के भीतर ही चर्चित रहे और सार्वजनिक मंचों पर कम सामने आए। उनकी नेतृत्व शैली अनुशासन, सुरक्षा और सामुदायिक संवेदनशीलता का मिश्रण रही है, जो अब कानपुर जैसे चुनौतीपूर्ण शहर में उनकी नई भूमिका में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।