

@रिपोर्ट: अनुराग श्रीवास्तव – कानपुर
कानपुर : दीवाली की रौनक अभी बाकी है, लेकिन कानपुर की हवा ने त्योहार की खुशियां जहरीले धुंध में बदल दी हैं। आतिशबाजी के धमाकों ने शहर की सांसों को सिकोड़ दिया—वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अब 200 के पार पहुंच चुका है, जो ‘बहुत खराब’ (Very Poor) की श्रेणी में आता है। यह स्तर न सिर्फ फेफड़ों को चोट पहुंचा रहा है, बल्कि पूरे शहर को एक अदृश्य जाल में फंसा रहा है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह धुंध हफ्तों तक बनी रह सकती है, और सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों और अस्थमा रोगियों पर मंडरा रहा है जो रोजाना इस जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। क्या यह त्योहार की चमक का काला पहलू है? आइए, जानते हैं पूरी सच्चाई और बचाव के उपाय।
दिवाली की आतिशबाजी: खुशी का धमाका या मौत का धुआं?
कानपुर में दीवाली हमेशा से ही पटाखों की धूम से जगमगाती रही है, लेकिन इस बार यह उत्सव शहर की हवा को ‘साइलेंट किलर’ बना बैठा। रविवार रात की भव्य आतिशबाजी के बाद सोमवार सुबह ही AQI में सेंसेक्स की तरह उछाल आ गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, शहर का औसत AQI रविवार को 180 के आसपास था, जो को appendix 24 घंटों में 309 तक पहुंच गया। कल्याणपुर, किदवई नगर, गोविंद नगर और फैजलगंज जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में तो हालात और भी गंभीर हैं—AQI यहां 250-300 के बीच छाया हुआ है, जो ‘गंभीर’ (Severe) की दहलीज पर खड़ा है।
मौसम के कई जानकार बताते है कि इस बार बड़ी बात ये रही कि PM2.5 (जो महीन कण हवा में घुलकर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं) उनका स्तर 150 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर चढ़ गया है, जबकि सुरक्षित सीमा सिर्फ 60 है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जैसे गैसों की मात्रा भी दोगुनी हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि 70% प्रदूषण आतिशबाजी से आया, बाकी 30% वाहनों, निर्माण कार्यों और पराली जलाने से। “पिछले साल की तुलना में इस बार प्रदूषण 40% ज्यादा है, क्योंकि हवा की गति कम होने से धुआं नीचे ही जम गया है ।
AQI का सफर: मध्यम से ‘बहुत खराब’ तक का दर्दनाक सफर
- दिवाली से ठीक पहले कानपुर की हवा पहले से ही सांसत में थी। आइए, आंकड़ों से समझें यह गिरावट:
- 15-16 अक्टूबर : AQI 128-132 (मध्यम श्रेणी)—हल्की जलन महसूस हो रही थी, लेकिन सामान्य लोग बेफिक्र थे।
- 18-20 अक्टूबर (धनतेरस से पहले) : धीरे-धीरे बढ़कर 167-202 (खराब श्रेणी)—ट्रैफिक जाम और छोटी-मोटी आतिशबाजी ने हवा को भारी कर दिया। किदवई नगर में AQI 220 छू गया था।
- 20-21 अक्टूबर (दिवाली रात) : आग उगलते पटाखों ने AQI को 220+ पर धकेल दिया। सुबह 8 बजे तक कल्याणपुर का AQI 248 रिकॉर्ड किया गया। कुछ समय के लिए ये लेवल 300 प्लस तक जा पहुँचा था ।
यह गिरावट सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं—यह शहरवासियों की सेहत पर सीधी चोट है। CPCB के अनुसार, AQI 201-300 पर सांस लेना बुजुर्गों, बच्चों और हृदय रोगियों के लिए ‘अस्वस्थ’ हो जाता है। कानपुर में 20% आबादी अस्थमा या श्वसन रोगों से जूझ रही है, और यह धुंध उनके लिए जहर की तरह है।
स्वास्थ्य पर कहर: बच्चे और अस्थमा मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित
दिवाली की यह ‘रौनक’ कानपुर के सबसे कमजोर वर्ग—बच्चों और अस्थमा रोगियों—के लिए घातक साबित हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि PM2.5 कण फेफड़ों में जाकर सूजन पैदा कर देते हैं, जिससे अस्थमा अटैक का खतरा 3 गुना बढ़ जाता है। कानपुर के कई अस्पताल में पिछले 24 घंटों में श्वसन संबंधी शिकायतों के 150 से ज्यादा केस दर्ज हुए, जिनमें 40% बच्चे थे।
डॉक्टरों की माने तो “AQI 200+ पर सांस लेना धीमी जहर पीने जैसा है। बच्चे जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनमें ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा मरीजों को तुरंत इनहेलर की डोज बढ़ानी चाहिए।”
बच्चों के लिए विशेष खतरा : छोटे फेफड़े इस प्रदूषण को आसानी से सोख लेते हैं, जिससे विकास रुक सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, ऐसे दिनों में बच्चों में सांस फूलने की शिकायत 50% तक बढ़ जाती है।
बचाव के ‘जीवन रक्षक’ टिप्स: डॉक्टरों की सलाह, जो बचाएगी जान
इन प्रॉब्लम्स के बाद भी डरने की जरूरत नहीं, लेकिन सावधानी बरतनी होगी। यहां डॉक्टर्स और विशेषज्ञों के ‘मस्ट-फॉलो’ उपाय ये है जिन्हें फ़ॉलो कर के आप स्वस्थ रह सकते है ।
मॉर्निंग/ईवनिंग वॉक से परहेज : इन दिनों जबतक हवा ज़हरीली है तबतक सुबह-शाम प्रदूषण चरम पर होता है। घर के अंदर ही व्यायाम करें।
मास्क है जरूरी : N95 मास्क पहनें, खासकर बाहर जाते वक्त। साधारण मास्क बेकार हैं।
घर को सील करें : खिड़कियां दरवाजे बंद रखें। जरूरत होने पर ही खोले एयर प्यूरीफायर चलाएं, अगर संभव हो।
अस्थमा मरीज : दवाओं को समय पर लें, ह्यूमिडिफायर यूज करें। स्टीम लेने से राहत मिलेगी।
बच्चों का ख्याल : उन्हें बाहर न भेजें। ज्यादा पानी पिलाएं, हेल्दी फल, सब्जियां दें। अगर खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
आपातकालीन सलाह : अगर AQI 300+ हो जाए, तो अस्पताल जाएं। कानपुर मेडिकल कॉलेज में स्पेशल कैंप लगाया गया है। विशेषज्ञों के अनुमान से, हवा को सामान्य होने में कम से कम 7-10 दिन लगेंगे, क्योंकि उत्तर-पश्चिमी हवाओं की कमी से धुंध फंसा हुआ है।
नोट: AQI आंकड़े CPCB के लाइव डेटा पर आधारित है,लेकिन पाठकों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा संबंधी सलाह केवल चिकित्सक से लें।