NEW DELHI : सियासी उठापठक के बीच और भारत में 2024 के आम चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) कानून को लागू कर दिया है। इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस कानून के माध्यम से मुसलमान समुदाय को टारगेट करना ही भाजपा का असल मकसद है। उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि सीएए के जरिए धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। ओवैसी ने आगे कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का एकमात्र मकसद मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना है। उन्होंने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि सीएए में मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है। ये देश के संविधान तथा धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है। इसके साथ ही ओवैसी ने कश्मीरी पंडितों का जिक्र करते हुए कहा कि अभी लाखों कश्मीरी पंडित भी कश्मीर से बाहर हैं उनको भी कश्मीर में बसाना चाहिए, लेकिन क्यों उनको कश्मीर नहीं ले जाते और दूसरे देशों से आए लोगों को नागरिकता देने की बात कर रहे हैं? ओवैसी ने आगे कहा कि नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं होनी चाहिए।
‘मुसलमानों को कर रहे टारगेट’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सीएए विभाजनकारी है तथा ये गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एनपीआर एनआरसी के साथ सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को टारगेट करना है, इसका अन्य कोई उद्देश्य नहीं है।