आज चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस है, ऐसे में भक्त मां की उपासना कर के माता रानी को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं, ऐसे में इस पूजा का विधि विधान कैसा होना चाहिए, किस तरह से माता रानी की स्थापना करनी चाहिए, कैसे माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करें इसके कुछ उपाय है, इस खबर में आप पढ़ सकते हैं सभी जानकारियां, आपको बताते चलें कि ये जानकारियां और नवरात्रि के पूजन विधि को देश की जानी मानी मशहूर एस्ट्रोलॉजर व टैरो कार्ड रीडर नीतिशा मल्होत्रा द्वारा बताया गया है ।
नवरात्रि देवी दुर्गा मां की पूजाविधि : नवरात्रि के दिन प्रातः घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम और अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाएं। मान्यता है कि माता की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं,लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं।
इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं। मां की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें।
माता शक्ति का यह मंत्र अमोघ है। संभव हो तो देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं । अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते’ यह मंत्र पढ़ें और आरती करें। देवी मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है,नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट होती हैं, रोग एवं क्लेश दूर होकर सुख-समृद्धि आती है।
देवी मां के मंत्र : मान्यता है कि अगर नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंत्रों का जाप पूरे भक्तिभाव से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है,जीवन भय एवं बाधारहित हो जाता है और साथ ही समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
3. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : 09 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। क्योंकि यह अभिजीत मुहूर्त है। कलश स्थापना, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है।
यह जानकारी देश की जानी मानी मशहूर एस्ट्रोलॉजर नीतिशा मल्होत्रा द्वारा प्रेषित की गई