इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा-SBI चुनिंदा रवैया नहीं अपना सकता, उसे चुनावी बॉण्ड संख्याओं का खुलासा करना पड़ेगा

Time to write @

- Advertisement -

NEW DELHI : उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड मामले में अपनी सख्ती जारी रखते हुए आज कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) चुनिंदा रवैया नहीं अपना सकता और उसे चुनावी बॉण्ड की सभी ‘‘संभावित’’ जानकारियों का खुलासा करना पड़ेगा जिसमें विशिष्ट बॉण्ड संख्याएं भी शामिल हैं जिससे खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड मामले में अपने फैसले में बैंक से बॉण्ड के सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था तथा उसे इस संबंध में और आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए।

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘‘हमने एसबीआई से सभी जानकारियों का खुलासा करने के लिए कहा था जिसमें चुनावी बॉण्ड संख्याएं भी शामिल हैं। एसबीआई विवरण का खुलासा करने में चुंिनदा रुख न अपनाए।’’ पिछले सप्ताह न्यायालय ने देश के सबसे बड़े बैंक को अपने निर्देशों के अनुपालन में विशिष्ट अक्षरांकीय संख्या (यूनीक अल्फा-न्यूमेरिक नंबर) का खुलासा न करने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया था और कहा था कि एसबीआई उन संख्याओं के खुलासे के लिए कर्तव्यबद्ध था।

उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड मामले में औद्योगिकी निकायों, एसोचैम और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) की गैर-सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार किया। उसने बॉण्ड विवरण का खुलासा करने पर उसके फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध करने वाले ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (SCBA) के अध्यक्ष के पत्र पर विचार करने से भी इनकार कर दिया।

सीजेआई ने एससीबीए अध्यक्ष से कहा, ‘‘आपने मेरी स्वत: संज्ञन संबंधी शक्तियों को लेकर पत्र लिखा है, ये सभी प्रचार संबंधी चीजें हैं, हम इसमें नहीं पड़ेंगे।’’ याचिकाकर्ता गैर लाभकारी संगठन की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों ने दानदाताओं का विवरण नहीं दिया है, केवल कुछ दलों ने दिया है।

उच्चतम न्यायालय ने 12 अप्रैल 2019 को एक अंतरिम आदेश पारित कर राजनीतिक दल, उन्हें मिले चंदे और आगे मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में निर्वाचन आयोग को देने के लिए कहा था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।

अन्य भाषा में पढ़े :

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

ऐमजॉन-फ्लिपकार्ट पर स्वदेशी स्ट्राइक, कानपुर में व्यापारियों ने भरी स्वदेशी हुंकार’

रिपोर्ट : अनुराग श्रीवास्तव - कानपुर कानपुर : दीपावली की चकाचौंध से पहले कानपुर के कोपरगंज बाजार में स्वदेशी...

कानपुर धमाके पर पाकिस्तानी हैंडल से फर्जी दावा: 8 सैनिकों की मौत की अफवाह, एजेंसियां साजिश की जांच में जुटीं

कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर में मिस्री बाजार के पास मरकज मस्जिद के निकट बुधवार की रात...

“क्या धोनी जॉइन करेंगे मुंबई इंडियंस? वायरल तस्वीर ने IPL 2026 से पहले मचाई सनसनी”

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के आइकॉनिक कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को...

कानपुर में 13 साल के बच्चे ने मैगी के लिए चुराई बहन की सगाई की अंगूठी, दुकानदार की सूझबूझ से बची सगाई

■ रिपोर्ट : अनुराग श्रीवास्तव - कानपुर कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक हैरान करने वाला...
Enable Notifications OK No thanks