

रिपोर्ट : अनुराग श्रीवास्तव – कानपुर
कानपुर : ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कानपुर मेट्रो ने पूरे देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के भव्य समारोह में कानपुर मेट्रो के आईआईटी कानपुर स्टेशन को ऊर्जा संरक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट से नवाजा गया। यह सम्मान देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की गरिमामयी उपस्थिति में प्रदान किया गया, जिसने कानपुर शहर और पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का पल बना दिया।
यह पुरस्कार केंद्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार को सौंपा। यह सम्मान मेट्रो स्टेशनों के संचालन में ऊर्जा की खपत को न्यूनतम स्तर पर रखने, आधुनिक तकनीकों का प्रभावी उपयोग करने और सतत विकास के सिद्धांतों को अपनाने के लिए दिया गया है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार ऊर्जा मंत्रालय के अधीन ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) द्वारा हर वर्ष प्रदान किए जाते हैं, ताकि उन संस्थानों को प्रोत्साहन मिले जो ऊर्जा बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान दे रहे हैं।
बताते चले यह पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की पहचान मिली हो। इससे पहले 2019 और 2021 में लखनऊ मेट्रो को मेट्रो रेलवे सेक्टर में प्रथम पुरस्कार और सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट प्राप्त हो चुका है। अब कानपुर मेट्रो की यह सफलता यूपीएमआरसी की मजबूत तकनीकी और प्रबंधकीय क्षमता को और अधिक रेखांकित करती है। यूपीएमआरसी भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम है, जो लखनऊ, कानपुर, आगरा सहित अन्य शहरों में मेट्रो परियोजनाओं का संचालन और निर्माण कर रहा है। सबसे खास बात यह है कि देश के 24 मेट्रो संचालित शहरों में यूपी मेट्रो के एलीवेटेड स्टेशनों की प्रति किलोमीटर ऊर्जा खपत सबसे कम दर्ज की गई है, जो इसे अन्य मेट्रो सिस्टम से आगे रखता है।
कानपुर मेट्रो में ऊर्जा बचत के लिए कई नवाचारी और आधुनिक तकनीकों को अपनाया गया है। मेट्रो ट्रेनों में रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगा है, जिससे ब्रेक लगाते समय उत्पन्न ऊर्जा को वापस ग्रिड में भेजा जाता है और दोबारा उपयोग किया जा सकता है। सभी स्टेशनों पर ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटिंग, हाई-एफिशिएंसी एचवीएसी सिस्टम, स्मार्ट लिफ्ट और एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं। एस्केलेटर में स्लो स्पीड मोड और स्लीप मोड की सुविधा है, जिससे बिना उपयोग के समय में बिजली की खपत न के बराबर हो जाती है। बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) के जरिए लाइटिंग और अन्य उपकरणों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाती है। स्टेशनों पर तापमान को इष्टतम स्तर पर बनाए रखने के लिए भी विशेष इंतजाम हैं, जिससे अनावश्यक कूलिंग या हीटिंग से बचत होती है।
ऐसे में इसके साथ ही यूपी मेट्रो नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ा रही है। विभिन्न मेट्रो स्टेशनों और डिपो में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए गए हैं, जिनसे वर्तमान में 4.41 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। आने वाले समय में इस क्षमता को और बढ़ाने की योजना है, ताकि ग्रिड से ली जाने वाली बिजली पर निर्भरता और कम हो सके। इन सभी प्रयासों का परिणाम यह है कि मेट्रो संचालन में ऊर्जा खपत में करीब 39 प्रतिशत की भारी कमी दर्ज की गई है। इससे हर साल लगभग 70 लाख यूनिट बिजली की बचत हो रही है, जिसका आर्थिक लाभ करीब 5 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह सम्मान पूरी टीम के अथक परिश्रम का नतीजा है। उन्होंने बताया कि कानपुर मेट्रो न केवल यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक सेवा प्रदान कर रही है, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रही है। यह उपलब्धि साबित करती है कि आधुनिक तकनीक और सही प्रबंधन से बड़े स्तर पर ऊर्जा संरक्षण संभव है।






