लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को दिया जा सकता है गुजारा भत्ता : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Time to write @

- Advertisement -

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने देश में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं के हक में एक अहम फैसला दिया है. जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि देश में कोई भी महिला जब किसी पुरुष के साथ ज्यादा दिनों तक रहने के बाद अलग होने पर उसके गुजारा भत्ते की हकदार है चाहे वह महिला भले ही विवाहित न हो.

ट्रायल कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला उस शख्स की याचिका पर आया है जिसमें उसने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चैलेंज किया था, जिस फैसले में ट्रायल कोर्ट में एक महिला को 1500 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. यह भत्ता उस आदमी को देने का आदेश दिया था जो उस महिला के साथ लिव-इनरिलेशनशिप में था.


इस फैसले को कहा जा रहा है प्रगतिशील : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले को एक प्रगतिशील कदम के रुपम में देखा जा रहा है. इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि अगर महिला और उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे व्यक्ति के बीच सहवास के साक्ष्य मौजूद हैं तो वह व्यक्ति महिला के भरण-पोषण से मना नहीं कर सकता है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के द्वारा निकाले गए निष्कर्ष का भी हवाला दिया. जिसमें कोर्ट ने यह बताया था कि पुरुष और महिला पति और पत्नी के रुप में एक दूसरे के साथ रह रहे थे. ट्रायल कोर्ट ने इस बात का ध्यान रखते हुए पुरुष को लिव-इन में रहने वाली महिला को 1500 रुपये गुजारा भत्ता देने का फैसला दिया था क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने माना था कि दोनों के एक साथ रहने के दौरान बच्चे का जन्म हुआ था. अदालत ने बच्चे के जन्म को ध्यान मे रखकर ही महिला के भरण -पोषण के अधिकार को माना था.


परंपरा के विपरीत ये फैसला : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह तारीखी फैसला भारत में लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में विकसित हो रहे बदलाव को दर्शाता है. कोर्ट का यह फैसला परंपरा से एकदम हटकर है जो महिला और पुरुष के बीच के बन रहे रिश्तों को दर्शाता है.


लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य : फरवरी के महीने में उत्तराखण्ड राज्य ने अपने सभी नागरिकों के लिए तलाक,समान विवाह, विरासत, तलाक,भूमि, और संपत्ति के कानूनों को सभी के लिए एक जैसा बनाया जिसको समान नागरिक संहिता कहा गया. उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लाए गए समान नागरिक संहिता की एक धारा में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को जरुरी बना दिया है. जिसमें उसने यह भी कहा कि अगर लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोडे़ की उम्र 21 साल से कम है तो उनके माता पिता को इसकी जानकारी दी जायेगी


 

अन्य भाषा में पढ़े :

अन्य खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

वन्य जीवों के लिए अनमोल उपहार: सेंट्रल यूपी गैस लिमिटेड ने कानपुर प्राणि उद्यान को सौंपा टाटा सूमो सीएनजी वाहन

Kanpur Zoological Park News : कानपुर प्राणि उद्यान, कानपुर में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें...

उत्तर प्रदेश में वाहन खरीदना हुआ महंगा: योगी सरकार ने वन टाइम टैक्स में 1% बढ़ोतरी को दी मंजूरी

रिपोर्ट : सुनील बच्चन - प्रयागराज उत्तर प्रदेश में नई बाइक और कार खरीदना अब महंगा होने जा रहा...

आईआईटी कानपुर और शिक्षा मंत्रालय द्वारा SATHEE प्लेटफ़ॉर्म के जरिए NEET 2025 के लिए मुफ़्त क्रैश कोर्स शुरू किया गया

IIT KANPUR LOUNCH SATHEE AI APPLICATION : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी कानपुर) ने शिक्षा मंत्रालय के साथ...

“महिला सशक्तिकरण की नई पहल: मुस्कुराए कानपुर का कल्याणी समूह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए तैयार”

MUSKURAYE KANPUR MEETINGS DISIDE : मुस्कुराए कानपुर द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया...
Enable Notifications OK No thanks